निषाद जाति की उत्त्पति
निषाद एक प्राचीन अनार्य वंश है। निषाद (नि: यानी जल और षाद का अर्थ शासन) का अर्थ है जल पर शासन करने वाला। प्राचीन काल में जल, जंगल खनिज, के यही मालिक थे और जब भारत भूमि पर आर्यों ने आक्रमण किया , उसके पूर्व यहां इन्हीं का शासन था। हमारे बहुत सारे दुर्ग-किले थे, जिन्हें आमा, आयसी, उर्वा, शतभुजी, शारदीय आदि नामों से पुकारा जाता था। आज भी प्रयागराज से 40 किलोमीटर दूर गंगा किनारे श्रृंगवेरपुर में निषादराज राजा गुह का किला मौजूद है।
निषाद जाति की उत्त्पति
निषादों का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन ऋग्वेद में निषादों का उल्लेख है। रामायण और महाभारत में कई-कई बार निषादों का उल्लेख है। महर्षि वाल्मीकि ने जो पहला श्लोक लिखा है, उसमें निषाद शब्द आया है। महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास भी एक महान महर्षि निषाद थे।
निषाद अपने पूर्वजन्म में कभी कछुआ हुआ करता था। एक बार की बात है उसने मोक्ष के लिए शेष शैया पर शयन कर रहे भगवान विष्णु के अंगूठे का स्पर्श करने का प्रयास किया था। उसके बाद एक युग से भी ज्यादा वक्त तक कई बार जन्म लेकर उसने भगवान की तपस्या की और अंत में त्रेता में निषाद के रूप में, विष्णु के अवतार भगवान राम के हाथों मोक्ष पाने का प्रसंग बना। राम निषाद के मर्म को समझ रहे थे, वो निषाद की बात मानने को राजी हो गए। निषादराज का राजमहल आज भी भी श्रृंगवेरपुर में मौजूद है
निषाद जाति की उत्त्पति
धर्मग्रंथों के अनुसार राम के जन्म से पहले इस धरती पर आसुरी शक्तियां अपने चरम पर पहुंच गई थीं। राजा-महाराजा, ऋषि-मुनि सभी इनसे परेशान थे। ऐसे में किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। राजा दशरथ ने अपने कुलगुरु ऋषि वशिष्ठ से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि श्रृंगवेरपुर के श्रृंगी ऋषि ही इस समस्या से निजात दिला सकते हैं।
ऋषि श्रृंगी त्रेता युग में एक बहुत बड़े तपस्वी थे। जिनकी ख्याति दूर-दूर तक थी। राजा दशरथ के अभी तक कोई पुत्र नहीं था। केवल एक पुत्री थी जिसका नाम था शांता। दशरथ के मन में जहां एक ओर आसुरी शक्तियों से छुटकारा पाने की चिंता सता रही थी वहीं अपना वंश बढ़ाने के लिए पुत्र न होने की पीड़ा भी मन में थी। ऐसे में दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने इन समस्याओं के निवारण के लिए श्रृंगी ऋषि की मदद लेने की सलाह दी। तब राजा दशरथ की प्रार्थना पर ऋषि श्रृंगी उनके दरबार पहुंचे।
ऋषि ने राजा दशरथ से कहा कि इन समस्त समस्याओं का एक ही हल है-पुत्रकामेष्ठी यज्ञ। इसके बाद राजा दशरथ के घर पूरे विधिविधान से पुत्रकामेष्ठी यज्ञ कराया गया और कुछ वक्त बाद दशरथ के यहां विष्णु के अवतार में भगवान राम का जन्म हुआ। पूरे बारह दिन तक चला था ये यज्ञ और इस दौरान दशरथ ऋषि श्रृंगी के तप, उनके ज्ञान और शक्ति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी इकलौती पुत्री शांता का विवाह श्रृंगी ऋषि से करने का निर्णय ले लिया और तब श्रृंगी बन गए दशरथ के दामाद।
माना जाता है कि श्रृंगवेरपुर धाम के मंदिर में श्रृंगी ऋषि और देवी शांता निवास करते हैं। यहीं पास में है वो जगह जो राम सीता के वनवास का पहला पड़ाव भी मानी जाती है। इसका नाम है रामचौरा घाट। रामचौरा घाट पर राम ने राजसी ठाट-बाट का परित्याग कर वनवासी का रूप धारण किया था। त्रेतायुग में ये जगह निषादराज की राजधानी हुआ करता था। निषादराज मछुआरों और नाविकों के राजा थे। यहीं भगवान राम ने निषाद से गंगा पार कराने की मांग की थी।
Tag:-निषाद जाति की उत्त्पति, निषाद जाति का इतिहास
Nishad raja ke wanshaj aaj ke mallah 'chaudhari kewat sahani hai jo ki ab union bana hua hai bihar hi nahi har bharat ke har state me sahani samaj ka union sbse jyadajanshankhya badti jaa rahi hai Bihar me son of mallah lead kar rahe ye sabhi sahani samaj ko har chhetra me ujjager karne ka kaam kar rahe hai aap sab apne samaj ko pahchane aur bikash ki unti ko lekar kaam kar dhanyabaad
ReplyDeleteजय निषाद राज
DeleteKendra sarkar se aur rajya sarkar se request hai ki Mallah samaj har sambhav upper uthane ke liye har chhetra me jagh de aur concession de taki ye samaj aage bade aur desh unnati kare
ReplyDeleteTabhi desh ka bikash hoga
Dhanyabaad
Union of mallah ka hona bahut jaruri hai matalb hum sab ek dushre ki madad kare to ye ge ration aage badegi
ReplyDeleteEKLAVYA BHI NISHAD THE MALLAH JAATI KE PURVJA ISLIYE AAP SAB EK DUSHRE KI MADAD KAR AAGE PADE
Aap sab Nishad kranti shangh YOUTUBE CHANNEL KO DEKHE KI VIKASH KE LIYE MUKESH SAHANI KTA KYA HER SAMBHAV MEHNAT KAR RAHE HAI YA AAP GOOGLE PAR BHI JANKARI LE SAKTE HAI
DeleteDHANYABAAD
Nisad samaj 1 batham samaj se judda hoa h jo ki parachin samay se chandravanshi kahar ke naam se jana jata h jai mahakal
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteE
It's true story for all the Nishad raj
ReplyDeleteजय निषाद राज
ReplyDeleteJai nishad raj
ReplyDeleteJai nishad raj
ReplyDeleteJay nishad nishad raj
ReplyDeleteAk tarf aap bol rhe ho mahabharat ke rachyta ak nishad the or dusre tarf aryo ne nishdo par akraman kiya rigved me nishad aaya hai aapke pass koi proof hai aryo ne akramad kiya ka jo apne likha hai aapke is tarha ke shabddo ke chalte samjha ko galat sandesh jata hai shame on you
ReplyDeleteKya aapke pass proof hai ham jo jante hai uske anusaran ye sahi hai
DeleteJay Nishad raj 🙏🙏
DeleteMangala prasad nishad
DeleteBadaua Manda Korav prayagraj
Jay Nishad raj 🙏🙏🙏🙏🙏
Mallah samaj mai aaakkta banaye rakhe mukesh sahani g ko sab log vote kre vip zindabad
ReplyDeleteJai nishad raj
ReplyDeleteJai. Nishad
ReplyDeleteJai ho nishad raj
ReplyDeleteJai nishad raj
ReplyDeleteJai nishad raj
ReplyDeleteजय निषाद राज🛶
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