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Thursday, January 2, 2020

कौन थी फूलन देवी

फूलन देवी (Phoolan Devi) का नाम हम सब ने जरूर ही सुना है, एक दस साल की लड़की, जो अपने बाप की जमीन के लिए लड़ गई थी, फूलन देवी (Phoolan Devi) यह एक ऐसा नाम है जो अस्सी के दशक में चंबल समेत पूरे देश में चर्चित था. हाल यह था कि फूलन देवी (Phoolan Devi) का नाम सुन कर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे. बड़े-बड़े नेता और मंत्री भी फूलन देवी (Phoolan Devi) का नाम सुन कर डरते थे. 25 जुलाई फूलन देवी की पुण्यतिथि होती है (Phoolan Devi Death anniversary).




कौन थी फूलन देवी


या एक बालिका-वधू, जिसका पहले उसके बूढ़े ‘पति’ ने रेप किया, फिर श्रीराम ठाकुर के गैंग ने. या एक खतरनाक डाकू, जिसने बेहमई गांव के 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर मार दिया था. या फिर उस ‘चालाक’ औरत के रूप में, जो शुरू से ही डाकुओं के गैंग में शामिल होना चाहती थी. वो औरत, जिसकी जिंदगी पर फिल्म बनाकर उसका बलात्कार दिखाने वाले शेखर कपूर ने उससे पूछा भी नहीं था. या शायद एक पॉलिटिशियन के तौर पर, जिसने दो बार चुनाव जीता. या फिर एक औरत, जो खुद से मिलने आये ‘फैन’ शेर सिंह राणा को नागपंचमी के दिन खीर खिला रही थी, बिना ये जाने कि कुछ देर बाद यही आदमी उसे मार देगा. आज हम आपको बता रहे हैं फूलन देवी (Phoolan Devi) के बारे में सबकुछ.

फूलन देवी
फूलन देवी

कौन थी फूलन देवी


फूलन देवी (Phoolan Devi) का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन के घूरा का पुरवा गांव में हुआ था. फूलन देवी (Phoolan Devi) एक मल्लाह परिवार की थीं इस वजह से तथाकथित ऊंची जाति के लोग उनसे घृणा करते थे. गरीब और ‘छोटी जाति’ में जन्मी फूलन में पैतृक दब्बूपन नहीं था. उसने अपनी मां से सुना था कि चाचा ने उनकी जमीन हड़प ली थी. दस साल की उम्र में अपने चाचा से भिड़ गई. जमीन के लिए. धरना दे दिया. चचेरे भाई ने सर पे ईंट मार दी. इस गुस्से की सजा फूलन को उसके घरवालों ने भी दी. उसकी शादी कर दी गई.

एक बूढ़े से हुई फूलन की शादी

फूलन देवी (Phoolan Devi) बैंडिट क्वीन (Bandit Queen) के नाम से चर्चित थीं. जब फूलन 11 साल की थीं तो उनके चचेरी भाई ने उनकी शादी पुट्टी लाल नाम के एक बूढ़े आदमी से करवा दी. दोनों में उम्र का एक बड़ा फासला होने के कारण दिक्कतें आती रहती थीं. कुछ साल किसी तरह से निकले. धीरे-धीरे फूलन की हेल्थ इतनी खराब हो गई कि उसे मायके आना पड़ गया. पर कुछ दिन बाद उसके भाई ने उसे वापस ससुराल भेज दिया. वहां जा के पता चला कि उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है. पति और उसकी बीवी ने फूलन की बड़ी बेइज्जती की. फूलन को घर छोड़कर आना पड़ा.

कौन थी फूलन देवी




दो डाकुओं को हुआ फूलन से प्रेम, एक की जान गई
अब फूलन का उठना-बैठना कुछ नए लोगों के साथ होने लगा. ये लोग डाकुओं के गैंग से जुड़े हुए थे. धीरे-धीरे फूलन उनके साथ घूमने लगी. फूलन ने ये कभी क्लियर नहीं किया कि अपनी मर्जी से उनके साथ गई या फिर उन लोगों ने उन्हें उठा लिया. फूलन ने अपनी आत्मकथा में कहा: शायद किस्मत को यही मंजूर था. गैंग में फूलन के आने के बाद झंझट हो गई. सरदार बाबू गुज्जर फूलन पर आसक्त था. इस बात को लेकर विक्रम मल्लाह ने उसकी हत्या कर दी और सरदार बन बैठा. अब फूलन विक्रम के साथ रहने लगी. एक दिन फूलन अपने गैंग के साथ अपने पति के गांव गई. वहां उसे और उसकी बीवी दोनों को बहुत कूटा.


तीन हफ्ते तक हुआ बलात्कार

अब इस गैंग की भिड़ंत हुई ठाकुरों के एक गैंग से. श्रीराम ठाकुर और लाला ठाकुर का गैंग था ये. जो बाबू गुज्जर की हत्या से नाराज था और इसका जिम्मेदार फूलन को ही मानता था. दोनों गुटों में लड़ाई हुई. विक्रम मल्लाह को मार दिया गया. ये कहानी चलती है कि ठाकुरों के गैंग ने फूलन को किडनैप कर बेहमई में 3 हफ्ते तक बलात्कार किया. ये फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में दिखाया गया है. पर माला सेन की फूलन के ऊपर लिखी किताब में फूलन ने इस बात को कभी खुल के नहीं कहा है. फूलन ने हमेशा यही कहा कि ठाकुरों ने मेरे साथ बहुत मजाक किया. इसका ये भी नजरिया है कि बलात्कार एक ऐसा शब्द है, जिसे कोई औरत कभी स्वीकार नहीं करना चाहती.


कौन थी फूलन देवी


डाकू बनीं फूलन देवी

अपने ऊपर हुए जुल्मों सितम के चलते फूलन देवी ने अपना एक अलग गिरोह बनाने का फैसला किया. 14 फरवरी 1981 को बहमई में फूलन देवी ने एक लाइन में 22 ठाकुरों को खड़ा करके गोली से उड़ा दिया. फूलन का कहना था कि जिन ठाकुरों ने उनका गैंग रेप किया था उन्होंने उनसे उसका बदला लिया है. इसका उन्हें कोई पछतावा नहीं था.

फूलन का गैंग

नया नाम मिला: बैंडिट queen , जेल से छूटकर हुई राजनीति में एंट्री
यही वो हत्याकांड था, जिसने फूलन की छवि एक खूंखार डकैत की बना दी. चारों ओर बवाल कट गया. कहने वाले कहते हैं कि ठाकुरों की मौत थी इसीलिए राजनीतिक तंत्र फूलन के पीछे पड़ गया. मतलब अपराधियों से निबटने में भी पहले जाति देखी गई. पुलिस फूलन के पीछे पड़ी. उसके सर पर इनाम रखा गया. मीडिया ने फूलन को नया नाम दिया: बैंडिट क्वीन. उस वक़्त देश में एक दूसरी क्वीन भी थीं: प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी. यूपी में एक राजा थे: मुख्यमंत्री वी. पी. सिंह. बेहमई कांड के बाद रिजाइन करना पड़ा था इनको.

उत्तरप्रदेश पुलिस पर भरोसा इसलिए उन्होंने मध्य प्रदेश पुलिस के सामने आत्म समर्थन की बात रखी, और चार शर्त भी रखी  पहली महात्मा गाँधी और माँ दुर्गा की तस्वीर के सामने ही अपने हथियार टेकेगी, दूसरी किसी सदस्य को मृत्यु दंड न मिल कर 8 वर्ष का अधिक सजा नहीं मिलनी चाहिए, तीसरी सभी सदस्यों को जमींन पर प्लाट, चौथी की आत्म समर्पण में उसके परिवार का सभी सदस्य व् उसके सभी समर्थको को शामिल किया जाये। जिस हेतु  भिंड के एसपी राजेंद्र चतुर्वेदी इस बीच फूलन के गैंग से बात करते रहे. इस बात की कम कहानियां हैं. पर एसपी की व्यवहार-कुशलता का ही ये कमाल था कि दो साल बाद फूलन आत्मसमर्पण करने के लिए राजी हो गईं. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने. उन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण के चार्जेज लगे. 11 साल रहना पड़ा जेल में. मुलायम सिंह की सरकार ने 1993 में उन पर लगे सारे आरोप वापस लेने का फैसला किया. राजनीतिक रूप से ये बड़ा फैसला था. सब लोग बुक्का फाड़कर देखते रहे. 1994 में फूलन जेल से छूट गईं. उम्मेद सिंह से उनकी शादी हो गई.

कौन थी फूलन देवी



आत्मसमर्पण करने के बाद फूलन देवी को 8 सालों की सजा दी गई. 1994 में वह जेल से रिहा हुईं. रिहा होने के बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री ली. वह दो बार चुन कर संसद पहुंचीं. पहली बार वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से सांसद बनी थीं.

जिंदगी बदली, पर मौत आ गई

1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गईं. मिर्जापुर से सांसद बनीं. चम्बल में घूमने वाली अब दिल्ली के अशोका रोड के शानदार बंगले में रहने लगी. 1998 में हार गईं, पर फिर 1999 में वहीं से जीत गईं. 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा फूलन से मिलने आया. इच्छा जाहिर की कि फूलन के संगठन ‘एकलव्य सेना’ से जुड़ेगा. खीर खाई. और फिर घर के गेट पर फूलन को गोली मार दी. उस समय उनकी उम्र 38 साल थीकहा कि मैंने बेहमई हत्याकांड का बदला लिया है. 14 अगस्त 2014 को दिल्ली की एक अदालत ने शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. फूलन देवी की हत्या का आरोप उनके पति उम्मेद सिंह पर भी लगा. लेकिन यह आरोप साबित नहीं हो पाया


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1 comment:

  1. Ek ladki ko dukh aur sukh dono hi mila lekin uski kahan bhagwaan jaanta tha fir bhi uske apne muh se sunne ke liye usko apne yahan bula liya hamare desh ki mahaan aatma thi

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