कौन है जीतनराम माँझी
बिहार के गया जिले के महकार गांव में 6 अक्तूबर 1944 को जन्मे जीतनराम मांझी एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते
हैं और उनके पिता रामजीत राम मांझी एक खेतिहर मजदूर थे। जीतन राम मांझी को भी बचपन में जमीन मालिक द्वारा खेतों में काम पर लगा दिया जाता था, लेकिन उनके मन में पढ़ने की ललक थी और अपने पिता तथा जमीन मालिक के बच्चों को पढ़ाने वाले एक शिक्षक से प्रोत्साहन मिलने पर उन्होंने बिना स्कूल जाए सातवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त कर ली। वर्ष 1962 में उच्च विद्यालय में शिक्षा पूरी करने के बाद मांझी ने वर्ष 1967 में गया कॉलेज से इतिहास विषय में स्नातक की डिग्री हासिल की एवं वकालत की डिग्री हांसिल की तथा स्कूल जीवन में वे भाकपा के सक्रिय सदस्य रहे।
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जीतनराम माँझी |
महादलित मुसहर समुदाय के गरीब परिवार से आने वाले जीतनराम मांझी को 1968 में डाक एवं तार विभाग में लिपिक की नौकरी मिली, शांता देवी से शादी हुई, 2 पुत्र और 5 पुत्रियाँ हुई, लेकिन 1980 में वे नौकरी छोड़कर कांग्रेस पार्टी के उस आंदोलन कि ‘आधी रोटी खाएंगे, इंदिरा को बुलाएंगे’ में शामिल हो गए। मगध इलाके में एक प्रखर दलित बुद्धिजीवी के रूप में मांझी की धाक जम चुकी थी, उसी वर्ष गया जिला के फतेहपुर (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हांसिल की, फिर 1985 ने दुबारा जीते। बाद के वर्षों में मांझी को अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार-चढाव का सामना करना पड़ा था और उन्हें वर्ष 1990 और 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से पराजय झेलनी पड़ी थी।
कौन है जीतनराम माँझी
बिहार के गया जिला के बाराचट्टी एवं बोधगया और पड़ोसी जिला जहानाबाद के मुखदूमपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार विधायक रहे और पिछली राबडी देवी राजद सरकार में वर्ष 1990 में मंत्री रहे मांझी को नीतीश कुमार नीत राजग सरकार में नवंबर वर्ष 2005 में मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी पर राजद शासनकाल के दौरान मानव संसाधन विभाग के मंत्री के रूप में शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के एक मामले में उनका नाम आने पर उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। उक्त मामले में उन्हें आरोप मुक्त किए जाने पर उन्हें पुन: मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था।
कौन है जीतनराम माँझी
नीतीश के विश्वस्त माने जाने वाले जीतन राम मांझी हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में गया संसदीय सीट से चुनाव लड़े थे लेकिन वे भाजपा उम्मीदवार हरि मांझी के हाथों पराजित हो गए थे। साधारण परिवार से आने वाले मांझी ने नामांकन के समय दायर हलफनामे में 50 हजार रूपए नकद के साथ 2.83 लाख रूपए की अपनी चल एवं अचल संपत्ति दर्शाई है।
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